जौनपुर (9 अक्टूबर)। मानस ममर्ज्ञ कोटिल्या साध्वी सुषमा जी ने कहा कि मन सुख और दुख के बंधन से मुक्त है। मन को बस में करने वाला व्यक्ति महामानव कहा जाता है। मनुष्य के अंदर आत्मा के ऊर्जा सभी को श्रद्धाशाली बना देती है। शरीर वृद्ध होता है लेकिन मन कभी बूढ़ा नहीं होता, शरीर थकता है किंतु मन नहीं थकता। साध्वीजी महाराजगंज क्षेत्र के रामनगर पड़ाव के पास राम कथा के अंतिम दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा के रसपान करा रही थी। साध्वी जी ने कहा कि भगवान या भगवान केह्श्र
संत के सहारे अपने बुरे संकल्पों विकल्पों को मिटाकर हम अपने मन को ईश्वर की आराधना में लगाते हैं। इसी प्रकार अपने मन को संपूर्ण रूप से वश में करके लक्ष्मण जी ने भगवान राम और माता सीता की 14 साल तक नींद से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य जीवन के साथ भगवान रामचंद्र जी का सेवा किए हम सभी को अपने मन को वश में करते हुए सुख-दुख की कल्पना से हटकर स्वयं को समाज के कल्याण और ईश्वर की आराधना लगाना है। कथा के अंतिम दिन भगवान श्री रामचंद्र जी का वन गमन से दुष्ट अहंकारी रावण का संहार कर पापियों को धरातल से मुक्त कर पुनः अपने नगरी में आए और राजतिलक के साथ उनका सम्मान किया। भगवान रामचंद्र जी के साथ हनुमान एक जागृत देव है। हनुमान जैसी भक्ति और लक्ष्मण जैसा भाई सेवा एक उदाहरण है इसी तरह मनुष्य को भी भाई भाई में एकता और एक दूसरे के प्रति रहना चाहिए। इस मौके पर कथा के व्यवस्थापक रामगोपाल यादव संचालक राजकीय सर यादव आयोजक महावीर पूर्व प्रधान भोला यादव, दीनानाथ सिंह, अखिलेश सिंह, लालजी, राजा राम सेठ, झब्बर, जनार्दन सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे कार्यक्रम के बाद आरती प्रसाद वितरण व भंडारे का आयोजन किया गया।
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