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जौनपुर। चौंकिए नहीं? जिंदा तो जिंदा, यहां मृतक का भी बनता है मेडिकल प्रमाणपत्र

जौनपुर (6 सितबंर)। प्रदेश में जिंदा तो जिंदा अगर मर चुके व्यक्ति का भी मेडिकल बनवाना हो तो आइए जौनपुर जिले के अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय में जहां पैसे देकर मनचाहा मेडिकल रिपोर्ट बनवा कर चाहे जहां धड़ल्ले से उसका प्रयोग करिए। आप चौंकिए नहीं ? जी हां यह बात शत प्रतिशत सही है। इसका खुलासा एक दैनिक अखबार के पत्रकार ने स्टिंग ऑपरेशन मे किया है।
अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय में लिपिक और दलालों के मिलीभगत से फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने का भ्रष्टाचार खूब फल फूल रहा है। पैसे देकर यहां कुछ भी कराया जा सकता है। इसका ताजा प्रमाण यह है कि सड़क हादसे में तीन साल पहले जान गंवाने वाले युवक का भी मेडिकल प्रमाण पत्र बना दिया गया। स्टिंग करने से पहले पत्रकार ने एक हजार रूपए देकर खुद मेडिकल प्रमाण पत्र बनवा चुका था।
जिला अस्पताल में शारीरिक परीक्षण प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर लंबे समय से वसूली का खेल चल रहा है। बीते जुलाई में 224, अगस्त में 208 लोगों की शारीरिक परीक्षण प्रमाण पत्र बनाया जा चुका है। इस खेल का खुलासा करने के लिए तीन सितंबर को एक दैनिक अखबार के पत्रकार ने सड़क हादसे में 30 नवंबर 2016 को बीएचयू में जान गंवाने वाले मुकेश राजभर निवासी गोविंदपुर मनिया के आधार कार्ड की फोटो प्रति और एक फोटो लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। जहां दलाल ने दो हजार रुपए में मृतक का मेडिकल प्रमाण पत्र बनवा कर दे दिया।

फोटो- अमर शहीद जिला अस्पताल में बना मृतक का मेडिकल प्रमाण पत्र

जिला अस्पताल के लिपिक कक्ष में ऐसे बना प्रमाण पत्र
एक दैनिक अखबार के पत्रकार ने 3 सितंबर 2019 को जिला अस्पताल पहुंचा। जहां उसने गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के मनिया गोविंदपुर निवासी मुकेश राजभर के नाम से पंजीकरण कराया। फिर पर्ची लेकर जिला अस्पताल में मेडिकल रिपोर्ट बनाने वाले लिपिक के पास पहुंचा। लिपिक ने कहा जिस का मेडिकल बनना है वह कहां है पत्रकार ने कहा नहीं है। और न हीं आ सकता है। लिपिक ने कहा तो फिर मेडिकल बनाना मुश्किल है। पत्रकार ने कहा कोई वैकल्पिक व्यवस्था बताएं। मेडिकल बनवाना बहुत जरूरी है। तो लिपिक ने एक दलाल की तरफ इशारा कर बताया। दलाल ने कहा कि तीन हजार देने होंगे। पत्रकार ने कहा बहुत ज्यादा है। उसके पास सिर्फ दो हजार है तो दलाल ने कहा तो ठीक है। आधार कार्ड की फोटो दे दो। 15 मिनट बाद आना प्रमाण पत्र मिल जाएगा। फिर पत्रकार इधर उधर घूमने के आधे घंटे बाद लिपिक के पास पहुंचा जहां उसे मुकेश राजभर का मेडिकल प्रमाण पत्र मिल गया।

फोटो- मुकेश राजभर के मर जाने की एफ आई आर कापी

शारीरिक परीक्षण प्रमाण पत्र (मेडिकल) बनाने का यह नियम पढ़े।
मेडिकल सर्टिफिकेट नौकरी, स्कूलों में नामांकन, शस्त्र लाइसेंस और खेलों में भाग लेने के लिए बनाया जाता है। एक रुपए की पर्ची पर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद 32 रूपए की फीस जमा करने का नियम है। इसके बाद नेत्र सर्जन, ऑर्थो सर्जन, फिजीशियन, इएनटी से जांच के बाद ईसीजी कराई जाती है। डॉक्टरों की रिपोर्ट के बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
मेडिकल बनाने में डॉ अभिमन्यु कुमार सीएमएस जिला अस्पताल जौनपुर का क्या कहना है देखें?
मेडिकल परीक्षण के लिए एक रूपए का पर्चा और 32 रूपए भी जमा करनी होती है। सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। बिना रहे किसी का मेडिकल प्रमाण पत्र जारी होने का प्रश्न ही नहीं उठता है।

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