जौनपुर। महराजगंज क्षेत्र के सवंसा स्थित हनुमान मंदिर पर चल रहे श्री राम मानस कथा के आखिरी दिन काशी से पधारे कथा वाचक श्री नीरजानन्द शास्त्री जी महराज ने कहा कि पुण्य के परिणाम से मानव जीवन की प्राप्ति होती है इसलिए राम का शरण अनुकरणीय है जिस समय रावण की आत्मा निकली उसमे से भी श्री राम का ही नाम निकला।रावण के स्वार्थ व अहंकार ने रावण की लंका को नष्ट कर दिया।इसलिए मनुष्य को जीवन मे कभी अहंकार नही करना चाहिए।जिस प्रकार रावण ने अंतिम में राम का नाम लिया वह तर गया उसी प्रकार मानव जीवन मे यदि राम नाम आ जाये तो जिंदगी तर जाएगी।कथा के अंत मे महाराज ने कहा कि श्रीराम का पिता के प्रति आदर व लक्ष्मण का भाई के प्रति प्यार इंसान को बहुत कुछ सिखाता है।हमें अपने बच्चों को भी ऐसे संस्कार देने चाहिए।जीवन में मर्यादा का होना आवश्यक है। वेदों का ज्ञाता रावण अगर मर्यादा लांघकर सीता माता का हरण न करता तो शायद उसका वध न होता। उन्होंने कहा कि राम हमारी संस्कृति हैं। हमें अपने बच्चों को उनके आदर्शों व संस्कारों के बारे में बताना चाहिए, ताकि वे संस्कारवान बनकर अनुशासन में रहें।कथा के अंत में आरती प्रसाद वितरण कर कथा का विश्राम हुआ।इस दौरान कथा संचालक श्यामशंकर उपाध्याय केवटली ग्राम प्रधानपति नन्दलाल मोदनवाल,उदयपाल सिंह सहित आदि सैकड़ों भक्तगण उपस्थित थे।