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जौनपुर। श्रीकृष्ण की वांगमयी मूर्तिस्वरूप है। श्रीमद्भागवत कथा में बोले-मुरारी श्याम

जौनपुर 21फर.)। मछलीशहर स्थित उमराना मोहल्ला में कृष्णचंद्र उमर के यहाँ चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के कार्यक्रम में बुधवार को कथा वाचक श्री मुरारी श्याम पांडेय व्यास ने श्री मद्भागवत माहात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान श्रीकृष्ण की वाङ्गमयी और शब्दमयी मूर्ति के समान है।जैसे पत्थर, काष्ठ,धातु की मूर्तियों का निर्माण करने वाले साधारण जीव होते है, और निर्माण करके प्राणप्रतिष्ठा करने वाले भी साधारण जीव ही होते है । लोग प्राणप्रतिष्ठा करके मूर्ति में भगवततत्व का अनुभव करते है। यही नही पूजा करने, कराने वाले साधारण जीव ही होते है,परंतु श्रीमद्भागवत का निर्माण करने वाले भगवान ही है। व्यास जी महाराज भगवान के24 अवतारों में 17 वे अवतार है।यही नही जब इस धरा धाम से भगवान जाने लगे तब उद्धव ने भगवान से पूछा कि प्रभू आपके वियोग में आपके भक्त कैसे रह पाएंगे। तब भगवान ने कहा कि उद्धव हर अवतार को पूर्ण करके मैं क्षीरसागर में चला जाता था। क्षीरार्णव में ,लेकिन इस बार लीला को पूर्ण करके मैं भगवतार्णव में प्रवेश कर जाऊँगा। अतः श्रीमद्भागवत ग्रन्थ स्वयं श्री कृष्ण स्वरूप है। यही नही भागवत कथा का प्रचार प्रसार करने वाले भगवान शुकदेव जी व्यास पुत्र बनकर प्रचार करने आए। भागवत की कथा कहने सनक, सनंदन, सनातन, सनत्कुमार जो भक्ति के दोनों पुत्रों को कथा के माध्यम से युवक बना दिया। कथा का आयोजन करने वाले नारद जो भगवान के 24 अवतारों में तीसरे अवतार माने जाते है तथा भगवान की कथा सुनने वाले भगवान सभी जीवों के हृदय में अंतर्यामी रूप में उपस्थित रहकर अपनी ही लीला की कथा को सुनकर प्रसन्न होते है। भागवत कथा पुराण के महत्व को निरूपित करने के बाद कथावाचक मुरारी श्याम पांडेय ने आदि ज्ञान भक्ति वैराग्य का निरूपण करते हुए गोकरणोपाख्यान की कथा को सुनाकर जनता को भाव विभोर कर दिया।

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